नज़्म कमाल क्या है?



एक शानदार नज़्म कमाल क्या है?


ख़िज़ां की रुत में गुलाब लहजा
बना  के रखना-------
कमाल ये है

हवा की ज़द पे दिया जलाना
जला के रखना-------
कमाल ये है

ज़रा सी लग़ज़िश पे तोड़ देते हैं
सब तअल्लुक़ ज़माने वाले
सो ऐसे वैसों से भी तअल्लुक़ बना के रखना-----
कमाल ये है

किसी को देना यह मशवरा कि वह
दुख बिछड़ने का भूल जाये
और ऐसे लम्हे में अपने आँसू छिपा के रखना----
कमाल ये है

किसी की रह से ख़ुदा की ख़ातिर
उठा के कांटे,हटा के पत्थर
फिर उसके आगे निगाह अपनी
झुका के रखना------
कमाल यह है

वह जिस को देखे तो दुख का लश्कर भी
लड़खड़ाये, शिकस्त खाये
लबों पे अपनी वह मुस्कुराहट
सजा के रखना-----
कमाल ये है

हज़ार ताक़त हो,सौ दलीलें हों
फिर भी लहजे में आजिज़ी से
अदब की लज़्ज़त,दुआ की ख़ुशबू
बसा के रखना-----
कमाल ये है

- मुबारक़ सिद्दीक़ी साहब

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