सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा!! इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा!! हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है!! जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा!! कितनी सच्चाई से मुझ से ज़िंदगी ने कह दिया!! तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जाएगा!! मैं ख़ुदा का नाम ले कर पी रहा हूँ दोस्तो!! ज़हर भी इस में अगर होगा दवा हो जाएगा!! सब उसी के हैं हवा ख़ुशबू ज़मीन ओ आसमाँ!! मैं जहाँ भी जाऊँगा उस को पता हो जाएगा!! - बशीर बद्र साहब
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गर्दिशों का दौर
अहवाले जिन्दगी जो सुनाया तो रो दिये नजर जानिबे दामन जो झुकाया तो रो दिये । हंसते थे जो हमारे बुरे वक्त में लोग गर्दिश का दौर उनपे भी आया तो रो दिये ।। बड़ी जिद की उन्होंने कि जरा जख्म तो देखें, हमने जख्म से जो बैरहन हटाया तो रो दिये ।। मैने सहे हैं जुल्म बहुत अपनों के दोस्तों तुम पे जरा दुनिया ने सितम ढाया तो रो दिये ।। कांटों के बीच उम्रभर हंसते रहे हैं हम हाथों में किसी ने हमको उठाया तो रो दिये ।। करते रहे जो ऐश विरासत की दौलत पर दो पैसे अपने हाथों कमाया तो रो दिये ।। चले थे ये सोच कर कि मुड़कर न देखेंगे वक्त ने फिर मोड़़ ली मुड़कर भी तो रो दिये ।। - रमेश चन्द्र सिंह प्रियतम साहब
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