राज़ मेरे दिल का अब जो आम है

राज़ मेरे दिल का अब जो आम है 
ये यक़ीनन आँसुओं का काम है 

चारागर तेरा यहाँ क्या काम है 
यार की तस्वीर से आराम है 

अश्क तो ख़ुशियों की चाहत ने दिये 
ग़म बेचारा मुफ़्त में बदनाम है 

बोझ बन जाती है दिल पर हर उमीद 
ना-उमीदी में बड़ा आराम है 

आज इधर का रुख़ किया क्यों ज़िंदगी !
मुझसे ऐसा क्या ज़रूरी काम है 

अब तो अख़बारों में पढ़ लेता हूँ मैं 
आज मुझ पर कौन सा इल्ज़ाम है

- राजेश रेड्डी साहब


(चारागर = चिकित्सक)】

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