इश्क़ करते है कब! सुबह दोपहर रात तु काल बता
क्यों ख़ुश्क ख़ुश्क है इतना! सावन झाल बता,
हमनवां से कुछ न छुपा! सुर ताल बता,
वो लहरे तरंगे किलकारी दूर किनारों से रहती है,
आ नूर तु मुझसे मिल या मुझको मशाल बता,
चिंता में तेरी सोता खुली आँखों से! हूँ मै,
तेरी तीरगी का सागर है कितना विशाल बता,
काट दिया है हमने परों को और है पैरो में बेड़ियाँ,
चल पडूंगा मै अपने शब्दों से तु मुझ को चाल बता,
सुनना है किस्से मोहब्बत के, मुझ को मुद्दतो अपने! लेकिन,
इश्क़ करते है कब! सुबह दोपहर रात तु काल बता,
इश्क़ मुश्क़ कि बातें लगने लगी! है पुरानी मुझे अब,
नफ़रत करना है मुझे तुझ से तु तेरा ख़याल बता,
ये हाल मेरे हाल से मेल खाते नही! सुन,
मुझे अपने ही तु कुछ हाल चाल बता,
है खुश्क सा बहुत नगर दिल का मेरे,
चाहत बरसी थी कब दिन, महीना, साल, बता।।
- निलेश कुमार गौड़
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