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नज़्म कमाल क्या है?

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एक शानदार नज़्म कमाल क्या है? ख़िज़ां की रुत में गुलाब लहजा बना  के रखना------- कमाल ये है हवा की ज़द पे दिया जलाना जला के रखना------- कमाल ये है ज़रा सी लग़ज़िश पे तोड़ देते हैं सब तअल्लुक़ ज़माने वाले सो ऐसे वैसों से भी तअल्लुक़ बना के रखना----- कमाल ये है किसी को देना यह मशवरा कि वह दुख बिछड़ने का भूल जाये और ऐसे लम्हे में अपने आँसू छिपा के रखना---- कमाल ये है किसी की रह से ख़ुदा की ख़ातिर उठा के कांटे,हटा के पत्थर फिर उसके आगे निगाह अपनी झुका के रखना------ कमाल यह है वह जिस को देखे तो दुख का लश्कर भी लड़खड़ाये, शिकस्त खाये लबों पे अपनी वह मुस्कुराहट सजा के रखना----- कमाल ये है हज़ार ताक़त हो,सौ दलीलें हों फिर भी लहजे में आजिज़ी से अदब की लज़्ज़त,दुआ की ख़ुशबू बसा के रखना----- कमाल ये है - मुबारक़ सिद्दीक़ी साहब
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सर झुकाओगे तो  पत्थर देवता हो जाएगा!! इतना मत चाहो उसे  वो बेवफ़ा हो जाएगा!! हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है!! जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा!! कितनी सच्चाई से मुझ से ज़िंदगी ने कह दिया!! तू  नहीं   मेरा   तो   कोई   दूसरा   हो  जाएगा!! मैं  ख़ुदा  का  नाम  ले  कर  पी  रहा  हूँ दोस्तो!! ज़हर भी  इस  में अगर  होगा  दवा हो जाएगा!! सब उसी के हैं हवा  ख़ुशबू ज़मीन ओ आसमाँ!! मैं जहाँ  भी  जाऊँगा  उस को  पता हो जाएगा!! - बशीर बद्र साहब
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