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Showing posts from September, 2018

दिल की बात

सबकी बात न माना कर खुद को भी पहचाना कर दुनिया से लड़ना है तो अपनी ओर निशाना कर या तो मुझसे आकर मिल या मुझको दीवाना कर बारिश में औरों पर भी अपनी छतरी ताना कर बाहर दिल की बात न ला दिल को भी तहखाना कर शहरों में हलचल ही रख मत इनको वीराना कर।। - कुँअर बेचैन सर

मजबूरियो ने कितने फ़रिश्ते बनाए है

अब जाके आह करने के आदाब आए है दुनिया समझ रही है कि हम मुस्कुराए है गुज़रे है मयकदे से जो तौबा के बाद हम कुछ दूर आदतन भी कदम लड़खड़ाए है इंसान जीतेजी करे तौबा ख़ताओ से मजबूरियो ने कितने फ़रिश्ते बनाए है।। - ख़ुमार बाराबंकवी साहब
. मैंने अपनी ग़ज़लें ख़ारिज कर डाली 🖤 सोचो मेरी जान तुम्हारा क्या होगा 🤔 - ता लिब तूफ़ानी

तबीअत

. क्यूँ तबीअत कहीं ठहरती नहीं दोस्ती तो उदास करती नहीं हम हमेशा के सैर-चश्म सही तुझ को देखें तो आँख भरती नहीं शब-ए-हिज्राँ भी रोज़-ए-बद की तरह कट तो जाती है पर गुज़रती नहीं ये मोहब्बत है, सुन, ज़माने, सुन! इतनी आसानियों से मरती नहीं जिस तरह तुम गुजारते हो फ़राज़ जिंदगी उस तरह गुज़रती नहीं।। - अहमद फ़राज़ साहब