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Showing posts from June, 2018

चेहरे पे चेहरा

ना  ही  चेहरे  पे  चेहरा  हम!  परदा जिगर  बर ना रखते है, हो  चाहे  संग  दिल  कोई सनम! दिल बर  को  दिल में रखते है।। - निलेश कुमार गौड़

चाहत बरसी थी कब दिन, महीना, साल, बता।। - निलेश कुमार गौड़

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क्यों ख़ुश्क ख़ुश्क है इतना! सावन झाल बता, हमनवां  से  कुछ   न   छुपा!  सुर  ताल  बता, वो लहरे तरंगे किलकारी दूर साहिल से रहती है,  आ नूर तु मुझसे  मिल   या मुझको मशाल बता, चिंता  में  तेरी  सोता  खुली  आँखों  से! हूँ मै,  तेरी तीरगी का सागर है कितना विशाल बता काट दिया है  हमने परों को  और है पैरो में बेड़ियाँ,  चल पडूंगा मै अपने शब्दों से तु मुझ को चाल बता, सुनना है किस्से मोहब्बत के, मुझ को मुद्दतो अपने! लेकिन, इश्क़  करते  है  कब!  सुबह  दोपहर  रात  तु  काल बता, इश्क़ मुश्क़ कि बातें लगने लगी! है पुरानी मुझे अब,  नफ़रत करना है मुझे तुझ से  तु तेरा  ख़याल  बता, ये हाल  मेरे हाल से मेल खाते नही! सुन,  मुझे अपने ही  तु  कुछ  हाल चाल  बता, है   खुश्क   सा   बहुत   नगर   दिल...

आँखे

हम से जाओ न बचाकर आँखें यूँ गिराओ न उठाकर आँखें  ख़ामोशी दूर तलक फैली है बोलिए कुछ तो उठाकर आँखें  अब हमें कोई तमन्ना ही नहीं चैन से हैं उन्हें पाकर आँखें  मुझको जीने का सलीका आया ज़िन्दगी! तुझसे मिलाकर आँखें।।                  - अंजना_संधीर_जी

विचार

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 विचार तो गुलज़ार से भी मिलते है साहब,  पर किरदार में हमारे कहानी हमारी होगी।                                     - निलेश गौड़

रूह की आस

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देख  रूठकर तु  मुझ से  मेरी  रूह   कि  प्यास है  देख  टूट  कर   भी  हम  तेरे  जिश्म  के  पास  है               -निलेश गौड़ 

ज़िन्दगी

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ग़नीमत है ज़िन्दगी ने गले लगा लिया,  " वरना " जीते जी मौत अपना बना लेती हमें।।                               - निलेश गौड़